- शून्य बोधिसत्व एक आध्यात्मिक समूह है जिसका उद्देश्य ज्ञान मार्ग से संबंधित चर्चा करना, मार्ग से संबंधित जानकारी प्राप्त करना तथा अपनी जिज्ञासाओं का समाधान पाना है।
- साधक शून्य बोधिसत्व में जुड़ने के बाद सबसे पहले अपना आत्म मूल्यांकन जरूर करें। उससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सा मार्ग उनके लिए उत्तम होगा। अगर साधक ज्ञान मार्ग के योग्य हुआ तो मार्गदर्शन दिया जाएगा अन्यथा दूसरे मार्गो में जाने का सुझाव दिया जा सकता है।
- किस उद्देश्य से शून्य बोधिसत्व से जुड़े हैं यह साधक को स्पष्ट होना चाहिए।
- ज्ञान प्राप्ति के लिए - अगर ज्ञान प्राप्ति के लिए आए हैं तो साधक के गुणों का होना और दिशा निर्देशों का पालन करना अति आवश्यक है।
- ज्ञान की पुष्टि के लिए - अगर ज्ञान की पुष्टि के लिए आए हैं तो पुष्टिकरण के बाद आप ग्रुप छोड़ सकते हैं।
- ज्ञान प्रसार के लिए - अगर पहले से ज्ञान हैं तो यहां आना आपके लिए व्यर्थ है। अपने गुरु से आज्ञा लेकर, ज्ञान का प्रसार करें।
- सत्य तक पहुंचना साधक का प्राथमिक लक्ष्य होना चाहिए।
- अगर आपका कोई संशय है तो उसे प्रश्न के रूप में ही पूछे।
- आध्यात्मिक यात्रा पूरी तरह से व्यक्तिगत होती है इसीलिए दृष्टि स्वयं पर रखें और दूसरे साधकों से वाद -विवाद करने से बचें।
समूह में केवल तभी शामिल हों जब आप उपरोक्त नियमों से सहमत हों।
इन नियमों का पालन न करने पर समूह की सदस्यता समाप्त हो सकती है।
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